अतृप्त मन
अतृप्त मन
में राकेश हूं।अब ग्रेजुएशन करने के लिए सहर में हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर ता हूं ।अब छुट्टियों में गांव को जाने के लिए बस में बैठ कर निकल पड़ा।तीन घंटे बाद गांव से कुछ दूर उतर कर घर को आया।
गांव में आने के बाद तो सबसे मिलने के बाद में उस दोपहर का समय था तो सो गया।फिर जब आंख खुली तो साम हो गई थी।हाथ मुंह धोने के बाद में निकल पड़ा अपने दोस्तों से मिलने।अब उनके साथ बैठ कर बातें कर ही रहा था कि उनमें से एक दोस्त ने कहा कि अब शांति भाभी को कोई नहीं बचा सकता ।अब तो डॉक्टर भी हाथ खड़े कर दिए हैं।उनके ऊपर कोई दवाई भी नहीं काम कर रही ।अब तो भगवान ही भरोसा हैं । अरे कुछ लोग तो कहा रहे हैं कि उन पर कोई आत्मा का साया हैं।इसलिए तो रात में उठ कर चिलाती रहती हैं ।
ये सुन में चौक गया ।इसका भी कारण था शांति भाभी बहुत ही सुंदर थी ।उनके जैसा गांव में कोई नहीं था।वो मन से भी बहुत साफ थी।में उन्हें बहुत अच्छे से जानता था।क्यूंकि उनके पति सौरभ भैया हमारे गांव के स्कूल में टीचर हैं।और में उनके पास पढ़ने अक्सर जाया करता था।और मेरी बाहर पढ़ने वाली बात पे हमारे घर वालों को उन्होंने ही समझाया था।उनसे एक अच्छा रिश्ता था मेरा।उनके में बहुत मानता था ।उनके शादी को पांच वर्ष बीत गए थे ।उनकीनेक बेटी भी थी।
में उनके ही घर पहुंच गया । तब भैया घर में ही थे ।मुझे देख कर मेरा हाल चाल पूछने लगे।भाभी और उनकी बेटी के सिवा उनके मा बाबा और उनकी बहन उनके साथ ही रहती थी।हालांकि साम के वक्त होने पर सब घर में ही मौजूद थे।अब भैया और में बात करने लगे।तो मैने पूछा कि भाभी की हालत कैसी है और उन्हें क्या हुआ है ।आप ने मुझे क्यों नहीं बताया।
वो बोलने लगे कि तू तो जानता है सब कुछ यही कुछ चार महीने से ही उसकी ये हालत हो गई है।जितने भी डॉक्टर दिखाए कोई फायदा नहीं हुआ।अब तो डॉक्टर भी बोलने लगे हैं कि अब उनमें जीने की इच्छा नहीं रही है।
तो मैने उनसे कहा कि क्या में एक बार भाभी को देख सकता हूं।तो उन्होंने मुझे कमरे में ले गए।तब भाभी सो रही थी।अब वो कमजोर थी। उनका चेहरा अब बुझ गया था।तभी अचानक वो कांपने लगी।और फिर आंखे बड़ी बड़ी करके चिल्लाने लगी।भैया उन्हें फ़ुकारा तो वो कुछ शांत हुई और डर तो हुई इनसे लिपट ने लगी।